बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

र्इं मुर्दन के गाँव


    जीसस एक झील के पास से गुज़र रहे थे। एक बहुत मज़ेदार घटना घटी। सुबह है, सूरज निकलने को है, अभी-अभी लाली फैली है। एक मछुवे ने जाल फेंका है मछलियां पकड़ने को। मछलियाँ पकड़कर वह जाल खींचता है।जीसस ने उसके कंधे पर हाथ रखाऔर कहा,मेरे दोस्त, क्या पूरी ज़िन्दगी मछलियाँ ही पकड़ते रहोगे? सवाल तो उसके मन में भी कई बार यह उठा था कि क्या पूरी ज़िन्दगी मछलियाँ ही पकड़ता रहूं। किसके मन में नहीं उठता? हां, मछलियां अलग-अलग हैं,जाल अलग-अलग हैं, तालाब अलग-अलग हैं,लेकिन सवाल तो उठता ही है कि क्या ज़िन्दगी भर मछलियां ही पकड़ते रहें।
   उसने लौटकर देखा कि कौन आदमी है,जो मेरा ही सवाल उठाता है। पीछे जीसस को देखा,उनकी हँसती हुई शांत आँखें देखीं,उनका व्यक्तित्व देखा। उसने कहा,और कोई उपाय भी तो नहीं है,और कोई सरोवर कहां है। और मछलियाँ कहां हैं। और जाल कहां फेकूं? पूछता तो मैं भी हूँ कि क्या ज़िन्दगी भर मछलियाँ ही पकड़ता रहूंगा। तो जीसस ने कहा कि मैं भी एक मछुआ हूं,लेकिन किसीऔर सागर पर फेंकता हूँ जाल।इरादा हो तो आओ मेरे पीछे आ जाओ। लेकिन ध्यान रहे,नया जाल वही फेंक सकता है,जो पुराना जाल फेंकने की हिम्मत रखता हो। छोड़ दो पुराने जाल को वहीं। मछुवा सच में हिम्मतवर रहा होगा। कम लोग इतने हिम्मतवर होते हैं। उसने जाल को वहीं फेंक दिया जिसमें मछलियाँ भरी थीं।मन तो किया होगा कि खींच ले,कम से कम इस जाल को तो खींच ही ले। लेकिन जीसस ने कहा,वे ही नए जाल को फेंक सकते हैं नए सागर में, जो पुराने जाल को छोड़ने की हिम्मत रखते हैं। छोड़ दे उसे वहीं। उसने वहीं छोड़ दिया।उसने कहा,बोलो,कहां चलूँ?जीसस ने कहा, आदमी हिम्मत के मालूम होते हो, कहीं जा सकते हो।आओ। वे गांव के बाहर निकल रहे थे,तब एक आदमी भागता हुआ आया और उस मछुवे को पकड़कर कहा, पागल! तू कहां जा रहा है?तेरे बाप की मौत हो गई है जो बीमार थे। रात ज्यादा तबीयत खराब हो गयी थी।तू सुबह उठकर जल्दी चला आया था, उनकी मृत्यु हो गयी,तू गया कहां था? हम गए थे तालाब पर,पड़ा हुआ जाल देखा है वहां।तू कहां चला जा रहा है? उसने जीसस से कहा,क्षमा करें। दो-चार दिन की मुझे छुट्टी दे दें। मैं अपने पिता की अन्त्येष्टि कर आऊं, अन्तिम संस्कार कर आऊँ। फिर मैं लौट आऊँगा। जीसस ने जो वचन कहा, वह बड़ा अद्भुत है। उन्होने कहा, पागल! वह जो गांव में मुर्दे हैं,वे मुर्दे को दफना लेंगे। तुझे क्या जाने की ज़रूरत है, तू चल।अब जो मर गया है,वह मर ही गया,अब दफनाने की भी क्या ज़रूरत है?यानी दफनाना भीऔर तरकीबें हैं उसकोऔर जिलाए रखने की। अब जो मर गया, वह मर ही गया। और फिर गांव में काफी मुर्दे हैं,वे दफना लेंगे,श्री कबीर साहिब ने भी कहा है र्इं मुर्दन के गांव। तू चल। एक क्षण वह रुका,जीसस ने कहा कि फिर मैने गलत समझा कि तू पुराने जाल छोड़ सकता है। एक क्षण वह रुका और फिर जीसस के पीछे चल पड़ा। जीसस ने कहा, तू आदमी हिम्मत का है। तू मुर्दों को छोड़ सकता है। तो तू जीवंत को पा भी सकता है।
     असल में वह जो पीछे मर गया है,उसे छोड़ें। ध्यान में आप निरंतर बैठते हैं,लेकिन मुझसे आप आकर कहते हैं कि होता नहीं है, विचार आ जाते हैं। वह आ नहीं जाते।आपने उनको छोड़ा है कभी? उऩको निरंतर पकड़े रहे हैं,उन विचारों का क्या कसूर है?अगर कोई आदमी एक कुत्ते को रोज़ अपने घर में बांधे रहे और रोज़ खाना खिलाए और फिर एक दिन अचानक उसको घर के बाहर निकालने लगे,और कुत्ता चारों तरफ से घूमकर वापिस आने लगे, तो कुत्ते का क्या कसूर है? अचानक आप ध्यान करने लगें और कुत्ते से कहें, हटो यहां से। और कल तक उसको रोटी दी,आज सुबह तक रोटी दी,आज सुबह तक चूमा,पुचकारा, उसकी पूंछ हिलाने से आनन्दित हुए, घंटी बांधी गले में,पट्टा बांधा,घर में रखा-अचानक आपका दिमाग हो गया कि ध्यान करें।उस कुत्ते को क्या पता? वह बेचारा घूमकर लौट आता है वापिस। वह कहता है, कोई खेल हो रहा होगा।और जब आप उसको और भगाते हैं तो वह और खेल में आ जाता है।वह और रस लेने लगता है कि कोई मामला ज़रूर है। मालिक आज कुछ बड़े आनन्द में मालूम पड़ते हैं। तब मुझसे आपआकर कहते हैं कि विचार नहीं जाते हैं।
     वे जाएंगे कैसे? उऩ्हीं विचारों को पोसा है आपने, खून पिलाया है अपना। उनको बांधे फिरते हैं,उनके गले पर पट्टे बांधे हुए  हैं अपने-अपने नाम के।आदमी से ज़रा कह दो कि यह जो तुम कह रहे हो,गलत
है। वह कहता है, मेरा विचार और गलत? मेरा विचार कभी गलत नहीं हो सकता अब जिस पर आप पट्टा बांधे हुए हैं अपना,वह बिचारा लौट कर आ जाता है। उसे क्या पता है कि आप ध्यान कर रहे हैं।अब आप कहते हैं हटो,भागो। ऐसे वह नहीं भागेगा। विचार को हम पोस रहे हैं। अतीत के विचार को पालते चले जा रहे हैं,बांधते चले जा रहे हैं। अचानक एक दिन आप कहते हैं, हटो। एक दिन में नहीं हट जाएगा। उसका पोषण बंद करना पड़ेगा, उसको पालना बंद करना पड़ेगा। ध्यान रहे, अगर विचार छोड़ने हों, तो 'मेरा विचार' कहना छोड़ देना। क्योंंकि जहां मेरा है, वहां कैसे छूटेगा। अगर विचार छोड़ने हैं तो विचार में रस लेना छोड़ दीजिए।       

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